जमशेदपुर । वर्त्तमान समय में विश्व के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है कोरोना वायरस पर विजय पाना । कोरोना महामारी से दुनिया में आज कोई भी देश अछूता नही है । कोविड 19 वायरस सबकी कमर तोड़ कर रख दी है । एलोपैथी , होम्योपैथी एवं अन्य चिकित्सा पद्ति के बड़े बड़े वैज्ञानिक व विशेषज्ञ अनुसंधान द्वारा अपने अपने ढंग से कोरोना वायरस की दवाई बनाने में जुटे हुए हैं ।परन्तु अभी तक प्रमाणिकता के साथ एक भी दवा की खोज होने की पुष्टि नही प्राप्त हुई है । आये दिन रोग एवं रोगियों की संख्या में वृद्धि होती ही जा रही है । इस सम्बंध में जमशेदपुर शहर के रहने वाले प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अवधेश कुमार ठाकुर ने जयोतिष विद्या पर शोध के उपरान्त दावा किया है कि ज्योतिषीय समाधान से भी कोरोना संकट से पीड़ित लोगों को ठीक किया जा सकता है । डॉक्टर श्री ठाकुर ने कहा कि ” रोग की उत्पत्ति का मुख्य कारण है शारीरिक असंतुलित उर्जा , जो शरीर पर वातावरणीय एवं आंतरिक जैविक क्रियाओं के विचलन के फलस्वरुप उत्पन्न होता है ।” वास्तविक तौर पर केवल अस्पतालों एवं चिकित्सकों की संख्या बढ़ाकर विश्व में उत्पन्न होने वाले रोग एवं रोगी की संख्या कभी भी नियंत्रित नहीं किया जा सकता है क्योंकि प्राकृतिक असंतुलन के कारण नित्य प्रति नये नये रोगों की उत्पत्ति बढ़ती ही रहेगी ।
आज विश्व में करीब 80% लोग किसी न किसी कारण से बीमार हैं ,चाहे वह दैहिक हो,चाहे मानसिक एवं बौद्धिक हो । आज हमसब वैज्ञानिक युग में जीवन व्यतीत कर रहे हैं ।किसी पिण्ड या तंत्र या मशीन के निर्माण के समय ही सारी त्रुटि दूर कर लेना श्रेयस्कर रहता है ,न कि बार बार मरम्मत करना ।इसी तरह मनुष्य के गर्भ स्थापित समय का ध्यान रखकर सभी चीजों का निराकरण किया जा सकता है । श्री ठाकुर ने कहा कि रोग एवं रोगी की संख्या को नियंत्रित करने के लिये विश्वस्तर पर वर्त्तमान जीवनशैली एवं सोच में बदलाव की जरुरत है ।वर्त्तमान समय में जीवनशैली एवं सोच काफी पथभ्रष्ट हो चुकी है और अपने विचलित मार्ग पर काफी दूर निकल चुकी है । जिसका संशोधन ही तो वास्तविक तौर पर वर्तमान समय में quarantine ( Isolation ) है ।
” वर्त्तमान समय में किसी रोग का ईलाज के लिए स्थूल मात्रा में भोजन की तरह प्रतिदिन अौषधि दिया जाता है ।वह वास्तविक तौर पर उसका ईलाज नहीं है ।किसी भी रोग का ईलाज उसके उपयुक्त अौषधि के सूक्ष्म मात्रा का उपयोग निश्चित समय पर, निश्चित तरीका से करके किया जा सकता है ।” रोग एवं अौषधि के गतिकी को समझना उचित रहेगा । यदि अतिसूक्ष्म स्तर पर विश्लेषण किया जाय तो मनुष्य के अलावा सभी योनियों में उत्पन्न जीव का क्रिया कलाप एवं अहार अभी भी समान है ,जो उसके अस्तित्व के लिये आवश्यक है ।केवल मनुष्य ही सभी जीवों के प्रति अपनी चेतना शून्य करके विभिन्न तरीकों से उसको अहार बनाया है ,जिसके कारण वातावरणीय असमानता ,ऋणात्मक ऊर्जा की वृद्धि,मानसिक पतन ,सामाजिक व नैतिक पतन , पृथ्वी के विभिन्न भौगोलिक स्तर पर देखा गया है ।
“अभी भी मनुष्य एक निश्चित समय एवं नक्षत्र पर आहार ,विहार,सामाजिक क्रिया करके अपने विचलित पथ में संशोधन करके मुख्य मार्ग पर आ सकता है और कोरोना संकट से भी अपने आपको बचाकर एक नवीन, निरोग स्वस्थ्य विश्व का निर्माण कर सकता है । ज्योतिषाचार्य श्री ठाकुर ने उदाहरण स्वरूप बताया कि 2076 विक्रमसंवत में शनि राजा तथा मंगल मंत्री थे ।राहू ,केतु महामारी फैलाने वाले कारक होते हैं ।केतु से सूक्ष्म जीवाणु या विषाणु के द्वारा महामारी फैलती हैं,जब शनि केतु स्थित राशि से गोचर करते हैं तो विषाणु की उत्पत्ति निश्चित ही होती है ।
आषाढ़ कृष्ण पक्ष तृतीया गुरुवार (20/6/2019) को विश्वविद्यालय पंचांग कामेश्वरसिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के अनुसार मिश्रमान — 47/08 पर शनि ग्रहस्पष्ट ( 8/21/27/15 ) , केतु ग्रहस्पष्ट ( 8/26/37/42 ) ( जो धनु़राशि पूर्वाषाढ़ नक्षत्र – 13डिग्री 20मिनट 1 सेकेण्ड से लेकर 26 डिग्री 40 मिनट तक स्वामी शुक्र के नक्षत्र में था । वास्तविक रुप से विषाणु उत्पत्ति का समय वही होना चाहिए ।) मंगलवार — ( 19/11/2019)
शनि स्पष्ट — ( 8/19/58/43) , केतु स्पष्ट — ( 8/18/34/28)
महामारी फैलना शुरुआत हो गया होगा ।दिनांक 19/11/2019 को 8:40 रात्रि के बाद ,मंगलवार,अष्टमी तिथि ,मघा नक्षत्र में उत्पन्न रोगों की तीव्रता अत्यधिक रहा होगा एवं विश्व स्तर पर अत्यधिक परेशानी एवं कष्ट का योग था । क्योंकि विष नक्षत्र में ही कोरोना रोग की उत्पत्ति हुई थी और इसमें वृद्धि सूर्यग्रहण (26-12-2019 ) के बाद देखने को मिला । इस बीमारी का प्रभाव नाड़ी तंत्र एवं शरीर के अंदर आकाश अर्थात् वायु कोष्टकों की कमी करना रहेगा ।
इसका आकलन केतु एवं शनि स्थित राशि , गोचर एवं दृष्टि के आधार पर किया गया है । दिनांक 21-6-2020 सूर्यग्रहण के बाद बीमारी की प्रकृति क्षीण होगी । बीमार की बढ़ी हुई संख्या पर न जायें, Recovery rate बढ़ना शुरु हो जायेगा। 25-9-2020 के बाद इसकी प्रकृति अत्यधिक कमजोर हो जायेगी एवं इस विषाणु का समाधान आठ महीने के अंदर हो जायेगा ।
इस विषाणु के फैलाव के समय असाध्य रोग नक्षत्र, तिथि एवं वार था ।जिसके कारण मूलतः विश्व स्तर पर अपूर्ण क्षति हुई है ।
इस बीमारी में वैसे लोगों को ज्यादा परहेज की जरुरत है जिनका मारक या मारकेश का महादशा / अंतर्दशा चल रहा है ।वैसे जातक / जातिका जिसका गोचर से शनि ,राहु ,केतु अष्टम स्थान या जन्म नक्षत्र में परिभ्रमण कर रहे हैं ।
ज्योतिषीय गणना के आधार पर निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का उपयोग करने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जायेगा ।
1.उड़द ( Vigna Mungo ) का दाल सप्ताह में एक बार
2.कुल्थी ( Horse gram ) का दाल सप्ताह में दो बार
3.तिल का तेल का उपयोग
4.सप्तधान्य अनाज का उपयोग किसी भी तरीका से लाभप्रद है ।
इसके अलावा ज्योतिषीय विशलेषण के आधार पर तीन नक्षत्रीय पौधों के पंचांग का उपयोग करके उत्पन्न नक्षत्रीय विष दोष को दूर करने का सफलता पूर्वक प्रयोग किया गया है जो पौधों में उपस्थित रसायन बीमारी के रोकथाम तथा उपचार के अनुरुप है । इसका सूक्ष्म मात्रा का उपयोग केवल तीन से चार खुराक ही लेना लाभदायक होता है ।
प्राइड इंडिया न्यूज से झारखंड स्टेट हेड नागेन्द्र कुमार की रिपोर्ट । संपर्क नम्बर : 8789182812 , 9546261489 .